अहमद बायूनी
इनक्लूसिव और सस्टेनेबल डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए खास तौर से काम करने वाला अंतरराष्ट्रीय संगठन, डिजिटल कोऑपरेशन ऑर्गनाइज़ेशन (DCO) ने आज दोहा में सेकंड वर्ल्ड समिट फ़ॉर सोशल डेवलपमेंट (WSSD2) में डिजिटल इकोनॉमी नेविगेटर (DEN) 2025 लॉन्च किया।
नेविगेटर के दूसरे संस्करण में ग्लोबल डिजिटल-इकोनॉमी मैच्योरिटी का आज तक का सबसे व्यापक विश्लेषण मिलता है। दुनिया के 94 प्रतिशत GDP और दुनिया की 85 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले 80 देशों को कवर करने वाली यह रिपोर्ट डिजिटल इंफ़्रास्ट्रक्चर, इनोवेशन, गवर्नेंस, बिज़नेस केपैसिटी और इनक्लूज़न का आकलन करने के लिए 145 इंडिकेटर और 41,000 से ज़्यादा लोगों को सर्वे में में शामिल करती है।
DCO की महासचिव दीमाह अलयाहया ने कहा कि DEN 2025, ग्लोबल प्रोग्रेस और आगे के काम दोनों पर प्रकाश डालता है: “DCO में एक ऐसे भविष्य की कल्पना की जाती है जहाँ हर देश डिजिटल इकोनॉमी में सार्थक रूप से भाग ले सकता है, न केवल डिजिटल सेवाओं के उपभोक्ताओं के रूप में, बल्कि क्रिएटर और इनोवेटर के तौर पर भी।”
नतीजों से पता चलता है कि डिजिटाइज़ेशन से आय के सभी स्तरों पर विकास के अवसर पैदा हो रहे हैं। इंटरनेट को अब कवर किए गए देशों में, औसत रूप से पाँच में से चार से ज़्यादा लोग इस्तेमाल कर रहे हैं और लोअर-मिडिल आय वाले देशों में कुल मिलाकर सबसे बड़े सुधार हुए हैं। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि गरीब तबके के लोगों को जोड़ने से 1.3 बिलियन से ज़्यादा लोग ऑनलाइन बैंकिंग और डिजिटल सेवाओं का इस्तेमाल कर पाएँगे, जिससे सामाजिक और आर्थिक रूप से बड़ी संभावना को आकार मिलेगा।
AI प्रगति कर रहा है, लेकिन यह प्रगति दुनिया में सभी के लिए समान नहीं है। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश इस क्षेत्र में सबसे तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं, जबकि दक्षिण एशिया और उप-सहारा अफ़्रीका जैसे क्षेत्रों में तेज़ी से आगे बढ़ने की मज़बूत संभावना झलक रही है। लैंगिक रूप से भी भागीदारी में सुधार जारी है, डिजिटल भागीदारी में दुनिया भर में लैंगिक समानता औसतन 70.8 प्रतिशत है। फिर भी, डिजिटल स्किल और शिक्षा में खासतौर से महिलाओं के लिए निवेश बढ़ाने से, बीच के अंतर को कम करने में मदद मिल सकती है। फ़िलहाल, सिर्फ़ 3.1 प्रतिशत ग्रैजुएट महिलाएं ICT के क्षेत्र में कदम रख रही हैं।
एक नया “सस्टेनेबिलिटी के लिए डिजिटल” पिलर इस बात पर ज़ोर देता है कि उभरती इकोनॉमी, संसाधनों पर ज़्यादा निर्भर करने वाले पुरानी ढाँचों को पीछे छोड़कर, सीधे रिन्यू की जा सकने वाली टेक्नोलॉजी को अपनाकर ज़्यादा आय वाले देशों से आगे निकल सकती हैं। हालाँकि, उत्तरी अमेरिका पहले से काफ़ी आगे है, लेकिन दक्षिण एशिया, यूरोप और मध्य एशिया और लैटिन अमेरिका और कैरिबियन देश भी धीरे-धीरे इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं—भविष्य में प्रगति और इस क्षेत्र में तेज़ी से आगे बढ़ने की संभावना दिखाते हुए।
DCO पॉलिसीमेकर, प्राइवेट सेक्टर, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और ग्लोबल रिसर्च कम्यूनिटी को साक्ष्यों के आधार पर फ़ैसले लेने और केलौबरेशन के लिए, संसाधन के रूप में DEN 2025 का इस्तेमाल करने को बढ़ावा देता है। डेटा शेयर करके, डिजिटल स्किल बनाकर और ऑनलाइन सिस्टम में भरोसे को मज़बूत करके, देश यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि डिजिटल ट्रांसफ़ॉर्मेशन के फ़ायदे व्यापक रूप से शेयर किए जाएँ। पूरी रिपोर्ट https://den.dco.org पर पढ़ें.
अहमद बायूनी