दुबई इलेक्ट्रिसिटी ऐंड वाटर अथॉरिटी
शेखा अल्म्हेरी, +971552288228
Shaikha.almheiri@dewa.gov.ae
दुबई इलेक्ट्रिसिटी ऐंड वाटर अथॉरिटी (देवा/डीईडब्लूए) ने पुष्टि की है कि हस्यां पॉवर काम्प्लेक्स की मौजूदा उत्पादन क्षमता इंडिपेंडेंट पॉवर प्रोडूसर (आइपीपी) का प्रयोग करके 1,200 मेगावाट तक पहुँच गई है। आगे वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में 600 मेगावाट और वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही के आते-आते अतिरिक्त 600 मेगावाट जोड़ा जाएगा। इससे हाल में स्वच्छ कोयला के बदले केवल प्राकृतिक गैस पर चलने के लिए बदले गए हस्यां पॉवर काम्प्लेक्स की क्षमता बढ़कर 2,400 मेगावाट तक हो जाएगी।
हस्यां पॉवर काम्प्लेक्स को शुरू में प्राकृतिक गैस और स्वच्छ कोयला, दोनों पर पूर्णकालिक परिचालन की क्षमता के साथ एक डुअल-फ्यूल कारखाने के रूप में अभिकल्पित और उद्देश्य के लिए निर्मित किया गया था। अब यह केवल प्राकृतिक गैस पर आश्रित है।
देवा के एमडी और सीईओ, महामहिम सईद मोहम्मद अल तयेर ने कहा कि हस्यां पॉवर काम्प्लेक्स जबेल अली पॉवर प्लांट और वाटर डिसैलिनेशन कॉम्प्लेक्स की शक्ति बढ़ाता है। ये दुबई को विश्वसनीयता, कार्यक्षमता, और गुणवत्ता के उच्चतम मानदंडों के अनुसार विद्युत् और जल सेवा प्रदान करने के लिए मुख्य स्तंभों में से एक है। जबेल अली की कुल विद्युत् उत्पादन क्षमता 9,547 मेगावाट की है। डीईडब्लूए की कुल उत्पादन क्षमता अब 13,417 मेगावाट है। इसमें मोहम्मद बिन रशीद अल मक्तूम सोलर पार्क की 1,527 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा सम्मिलित है।
अल तयेर ने कहा कि, “हस्यां पॉवर कॉम्प्लेक्स में ऊर्जा उत्पादन की नवीनतम प्रौद्योगिकियों को अपनाया गया है। बिजली कारखाने के टरबाइनों को मूलतः दोहरे ईंधन: गैस और स्वच्छ कोयला पर परिचालन के लिए अभिकल्पित किया गया था। इसलिए, हमने जब कॉम्प्लेक्स को प्राकृतिक गैस पर चलने के लिए परिवर्तित करने का फैसला किया, कोई डाउनटाइम नहीं था और परिवर्तन प्रक्रिया सुचारू रूप से पूरी हो गई। इस कदम से विवेकी नेतृत्व को दुबई को कार्बन-न्यूट्रल अर्थव्यवस्था में बदलने की दृष्टि (विज़न) को शक्ति मिलती है। इससे दुबई स्वच्छ ऊर्जा रणनीति 2050 और शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन रणनीति 2050 को वर्ष 2050 के आते-आते दुबई की कुल विद्युत् क्षमता की 100% बिजली स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों से प्रदान करने में मदद मिलती है। इस कदम से ऊर्जा स्रोतों के विविधीकरण करने और विश्वसनीयता, उपलब्धता और कार्यकुशलता के उठ्च्तम मानदंडों के अनुसार विद्युत् सेवाएँ सुनिश्चित करने के लिए निरापद ऊर्जा आपूर्ति को मदद मिलती है।”