हुसैन अल मुल्ला
सुप्रीम काउंसिल के सदस्य और शारजाह के शासक, महामहिम शेख डॉ. सुलतान बिन मोहम्मद अल कासिमी ने पुर्तगाल की कोइम्ब्रा यूनिवर्सिटी में अरबी अध्ययन केंद्र का उद्घाटन किया। इस मौके पर शारजाह बुक अथॉरिटी (SBA) की चेयरपर्सन महामहिम शेखा बुदूर बिन्त सुलतान अल कासिमी उपस्थित थीं। महामहिम ने 'जोआनीना डिजिटल लाइब्रेरी' का भी शुभारंभ किया और लाइब्रेरी को साल 1565 में रची गई दुर्लभ पांडुलिपि भेंट की, साथ ही अरबी, अंग्रेज़ी और पुर्तगाली भाषाओं में छपी अपनी किताब, "अ मोमेंटस जर्नी" पर हस्ताक्षर किए।
अध्ययन केंद्र में अरबी शिक्षा में मदद करने वाली सेवाओं, संसाधनों और कार्यक्रमों का जायज़ा लेने से पहले, महामहिम ने उद्घाटन के इस विशिष्ट अवसर के स्मृतिचिह्न के रूप में एक पट्टिका का अनावरण किया।
इसके बाद वे कोइम्ब्रा यूनिवर्सिटी की ऐतिहासिक जोआनीना लाइब्रेरी में गए, जहाँ उन्होंने 'जोआनीना डिजिटल लाइब्रेरी' का शुभारंभ किया और अपना भाषण दिया।
सात साल पहले इसी यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त करने वाले महामहिम ने यूनिवर्सिटी की प्रशंसा की और बार्बोसा की पांडुलिपि पर किए गए अपने शोध के आधार पर खाड़ी क्षेत्र तथा पुर्तगाली इतिहास के आपसी संबंधों को उजागर किया। यह पांडुलिपि साल 2012 से महामहिम के संरक्षण में थी और माना जाता है कि इसकी खोज से पहले यह एक सदी के लिए गुम हो गई थी।
बार्बोसा ने खाड़ी क्षेत्र के बारे में जिस ईमानदारी से आँखों देखा हाल बयान किया है, उसकी तारीफ़ करते हुए महामहिम ने बताया कि पांडुलिपि उस दौर में खाड़ी क्षेत्र की वास्तविकता की दुर्लभ और विस्तृत गवाही देती है।
अपनी किताब, “अ मोमेंटस जर्नी” को छपवाने के फ़ैसले को समझाते हुए उन्होंने कहा: “जब मैंने यह किताब छपवाने का फ़ैसला किया, तो मुझे सिर्फ़ ऐतिहासिक सबूतों की तलाश नहीं थी। मैं चाहता था कि हमारे लोगों को सच्ची निष्पक्षता के साथ देखा जाए। मैं तत्कालीन गवाह की नज़र से हमारे लोगों के बारे में कही गई सच्ची बातों को सबके सामने लाना चाहता था और उसे अलग-अलग देशों के साथ संबंध स्थापित करने की एक ठोस बुनियाद बनाना चाहता था।”
उन्होंने जोआनीना डिजिटल लाइब्रेरी के शुभारंभ की घोषणा भी की। यह प्रोजेक्ट कोइम्ब्रा यूनिवर्सिटी और शारजाह के सहयोग से शुरू किया गया है। महामहिम ने आशा जताई कि यह साझेदारी ज्ञान का लगातार विस्तार करने में मददगार साबित होगी।
कोइम्ब्रा यूनिवर्सिटी के रेक्टर, आमीलकार फ़ाल्कों ने अपने भाषण में पुर्तगाल और शारजाह के बीच बढ़ती घनिष्ठता की सराहना करते हुए कहा कि दोनों पक्ष स्थायी संबंधों का निर्माण करने के लिए मज़बूती से प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि SBA के सहयोग से हो रहा इस प्रोजेक्ट का विकास, अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों की अहमियत का जीता-जागता सबूत है। “सुलतान बिन मोहम्मद अल कासिमी कलेक्शन” नामक यह नया डिजिटल कलेक्शन, अलग-अलग क्षेत्रों में शोध के बेशकीमती संसाधन प्रदान करता है।
इस समारोह के दौरान, महामहिम ने “अ मोमेंटस जर्नी” की प्रतियों पर हस्ताक्षर किए, जो बार्बोसा की पांडुलिपि का बारीकी से अध्ययन करके लिखी गई है। यह पांडुलिपि 16वीं सदी के शुरुआती दौर का आँखों देखा हाल बताने वाले सबसे अहम पुर्तगाली दस्तावेज़ों में से एक है। उन्होंने लाइब्रेरी को सन् 1565 में रची गई असली पांडुलिपि भी भेंट की और उसे अब तक का सबसे सुरक्षित और संपूर्ण संस्करण बताया।
उनकी यात्रा का समापन ऐतिहासिक जोआनीना लाइब्रेरी के टूर से हुआ, जहाँ महामहिम ने दुर्लभ पांडुलिपियों का जायज़ा लिया और लाइब्रेरी के अलग-अलग विभागों तथा बेशकीमती व दुर्लभ वस्तुओं को सुरक्षित रखने को लेकर लाइब्रेरी द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी ली।
हुसैन अल मुल्ला